खेती को मुनाफे का सौदा बनाकर नौजवानों को खड़ा करना ही हमारा लक्ष्य है

किसानो के हक़ में कोर्ट के आदेश को भी सरकार नहीं मान रही है वरना 14 दिन में गन्ने का भुगतान मिलो को करना ही होगा और देरी से भुगतान करने पर उनको ब्याज की रकम चुकानी होगी।
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Vision And Mission ?

हमे उस किसान को बचाना है जिसकी उगाई हम रोटी खाते है, आँकड़े बताते हैं कि किसान पर क़र्ज़ का बोझ बढ़ा है क्योकि खेती एक नुकसान का सौदा बन गया है जिसके कारण देश के किसान बुरी तरह से क़र्ज़ के बोझ तले दब गए हैं। हमारी सरकारों और समाज ने अपने अन्नदाताओं को उसकी नियति के सहारे छोड़ दिया है जिससे उसको न सिर्फ आर्थिक तौर पर लूटा जा रहा है बल्कि उनकी गरिमा पर भी चोट पहुंचाई जा रही है।

कर्ज मुक्त किसान

जब हज़ारो करोड़ रुपया बड़े - बड़े उद्योगपतियों का देश की सरकार माफ़ कर सकती है तो किसानो का छोटा सा कर्ज माफ़ क्यों नहीं कर सकती।

किसान रोजगार उत्पन्न करने वाला बने

भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि हमारे आर्थिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम रही है

संवैधानिक अधिकारों की जागरूकता

हमारा संविधान कहता है की हर नागरिक को समान अवसर के साथ-साथ सुलभ न्याय भी उपलब्ध होना चाहिए।

MSP की गारंटी का कानून बनवाना

सरकार द्वारा MSP A2+FL पर आधारित है। जबकि इसको स्वामीनाथन कमेटी द्वारा दिए गए फार्मूले C2 लागत+50% के आधार पर किया जाना था।

किसानो को आत्मनिर्भर बनाना

कृषि व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए उत्पाद के उत्पादकों को संगठित करके किसानो को आत्मनिर्भर बनाना।

संसद में किसानो का मजबूत नेतृत्व

भारत कृषि प्रधान देश है जिसकी 80 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र तथा उससे जुड़े काम-धंधों पर आश्रित है उसकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए।

How we started

भारत का अन्न दाता आज दाने दाने को मोहताज है और किसानों की सहायता करने के बजाय उसका शोषण किया जा रहा है। बिजली विभाग, राजस्व विभाग, बैंक, बीमा कंपनी आदि सभी किसानों के शोषण करने में लगी हुई है। जिससे किसान मौत को गले लगा रहे है या फिर काम की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो रहे है।

गन्ना मील के द्वारा किसानों का शोषण किया जाना

सोसायटी में किसानों से अवैध वसूली, अधिकारियों की मनमानी और चीनी मिलों पर किसानों का करोड़ों रुपया बकाया होने के कारण किसानों की कमर टूट गई और किसान की कोई सुनने वाला नहीं था।

बिजली विभागों द्वारा किसानों का शोषण किया जाना

बिजली विभाग के अधिकारियों की तानाशाही और घूसखोरी के कारण किसानों व मजदूरों का शोषण किया जाता रहा है ।

APMC द्वारा किसानों का शोषण किया जाना

कृषि उपज विपणन समिति (APMC) के अधिकारियों की हटधर्मिता और आढ़तियों के द्वारा किसानो का शोषण किया जाना ।

राजस्व विभाग द्वारा किसानों का शोषण किया जाना

राजस्व महकमे के लोग घूसखोरी के लिए किसानों का शोषण करने में जुटे हुए हैं। किसान तहसील के चक्कर लगाते रहते है लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं होता जिससे समस्याएं बढ़ती जा रही है।

Our Journey

लगातार 30 वर्षों से RKMS के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय सरदार वी० एम० सिंह जी ने किसानो के लिए मुफ्त में कोर्ट से लड़ाई लड़कर हजारों करोड़ रुपए का फायदा किसानों को कराया है। आज भी सरदार वी० एम० सिंह जी कोर्ट से केस जीतकर भी गन्ना भुगतान की 14 दिन से अधिक देरी पर ब्याज दिलवाने और किसानो की फसलों की MSP की गारंटी के कानून बनवाने की लड़ाई लड़ रहे है ।
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  • गन्ने का भाव ₹48 से ₹72/कुंटल कराया।
  • बढे हुए मूल्य के ₹15 कोर्ट से किसानों को दिलाये।
  • BSF से किसानो की जमीनों को कोर्ट के माध्यम से छुड़वाया।
  • उत्तर प्रदेश में धान की खरीद के लिए कोर्ट के द्वारा साल दर साल कांटे लगवाए।
  • उत्तर प्रदेश सरकार को गन्ना मूल्य निर्धारण करने का अधिकार दिलाया
  • देश के 250 किसान संगठनो को जोड़कर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (ABKSSS) बनायीं।
  • कोर्ट में केस लड़कर गन्ना भुगतान की 14 दिन से अधिक देरी पर ब्याज दिलवाने का कानून लागु करवाया।
  • किसानो की फसलों, दूध, फल, सब्जी आदि का न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी का कानून बनवाने की लड़ाई लड़ रहे है।

Top Leadership

हमारी नेतृत्व टीम ईमानदारी, अनुभव और समर्पण से बनी है।
"आज देश के किसान की सबसे बड़ी समस्या यह है की उसकी फसल जिसकी भी वह बिजाई कर रहा है उसकी लागत फसल के मूल्य से बहुत अधिक है जिसका केवल एक मात्र समाधान स्वामी नाथन आयोग के द्वारा प्रस्तावित MSP ही है।"
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वीरेश चौधरी
जिला अध्यक्ष, हापुड़, RKMS
"आज देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए हैं लेकिन सीमा पर जवान और देश में किसान की हालत बद से बदतर होती जा रही है अगर इसी तरीके से किसान की आमदनी घटती रही तो किसान नामक प्रजाति एक दिन देश से विलुप्त हो जाएगी। "
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विनीत त्यागी
युवा जिला अध्यक्ष, हापुड़, RKMS
"आज भी देश का किसान चंद रुपये बचाने के लिए बेल की जगह हल चलाता है। क्योकि उसकी फसल की लागत बहुत बढ़ गयी है और कीमत कम से भी कम है जिसके कारण उसके रोज़मर्रा के जरुरी खर्चे भी पुरे नहीं हो पा रहे है।"
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अनुज कुमार रावत
जिला अध्यक्ष, बुलंदशहर, RKMS
"किसान मिट्टी को पानी से नहीं बल्कि अपने पसीने से सींचतता है सच तोह ये है की फसल को मिट्टी नहीं किसान उगाता है। फिर भी उसको सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या करने पर मज़बूर होना पड़ है कितने शर्म की बात है। "
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लाखन सिंह
जिला अध्यक्ष, बागपत, RKMS
"ज़िन्दगी में कुछ भी बनिये मगर दिल से किसान जरूर बने रहो क्योकिं किसान अपनी फसल को घाटे में बेचकर भी सिर्फ अपने परिवार को नही पालता बल्कि वह ईमानदारी और स्वाभिमानिता को भी ज़िन्दगी भर पालता है।"
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सुरविंदर किसान

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Rashtriya Kisan Mazdoor Sangathan

About RKMS

राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन (RKMS) का गठन 8 अक्टूबर 2000 में देश के विभिन्न राज्यों में किसानों के संघर्षों, कर्ज मुक्ति और लाभकारी कीमते दिलाने के लिए किया गया। किसानों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए यह राष्ट्रीय स्तर पर भारत में पहला ऐसा व्यापक संगठन है जो संवैधानिक तरीके से किसानो को कानूनी हक़ दिलाने का कार्य करता है ।

RKMS राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वी० एम० सिंह जी ने जब गन्ना पेराई सत्र 2013-14 एवं सत्र 2014-15 में चीनी मिल मालिकों ने मिल ना चलाने का ऐलान कर दिया था तब उन्होंने हाईकोर्ट से आदेश कराकर 3 दिनों में मिले चालू करवाई। क्योकि किसानो को मज़बूरी में कोहलू पर ₹125 से ₹150/कुंटल के मूल्य पर गन्ना देना पड़ रहा था। जबकि मिल चालू कराने पर दोनों सत्रों (2013-14 एवं 2014-15) में राज्य द्वारा निर्धारित ₹280/कुंटल गन्ना मूल्य मिला।

वहीं मिल मालिकों ने चीनी की मंदी दिखाते हुए 2013-14 में गन्ने की कीमत ₹280 के बदले ₹260 किस्त के रूप में कोर्ट के दबाव में दी परन्तु ₹20/कुंटल की दूसरी किस्त देने से इनकार कर दिया था। वही 2014-15 में राज्य सरकार ने दो क़िस्त बांधी। एक ₹240 एवं दूसरी ₹40/कुंटल। लेकिन जब चीनी मिल मालिकों ने दोनों साल की दूसरी क़िस्त देने से इंकार कर दिया तब कोर्ट से आदेश करवाकर 2013-14 में ₹20/कुंटल और 2014-15 में ₹40/कुंटल के मूल्य किसानो को दिलवाया।